जिस यूनिवर्सिटी में कभी पढ़ने के लिए नहीं थे पैसे, आज वहीं शिक्षक बने गजेंद्र सिंह – Tv News India

शाश्वत सिंह/झांसी. मशहूर शायर दुष्यंत कुमार का शेर है, ‘कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.’ इस बात को हकीकत कर दिखाया है झांसी के गजेंद्र सिंह ने. झांसी के टहरौली तहसील के एक अति पिछड़े गांव से आने वाले गजेंद्र आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट्स विभाग में शिक्षक कार्य कर रहे हैं. लेकिन, आज से कुछ वर्ष पहले तक स्थिति ऐसी नहीं थी.
गजेंद्र बताते हैं कि इस विश्वविद्यालय में जब वह एडमिशन लेने आए थे तो उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. गांव से विश्वविद्यालय तक आने के लिए कई बार बस का किराया नहीं होता था. कई बार इस वजह से लोग उन्हें जलील भी करते थे. लेकिन, गजेंद्र हार नहीं माने. वह लगातार अपना काम करते रहे. पढ़ाई के लिए जरूरी सामग्री खरीदने के लिए वह घर-घर जाकर लोगों को मेहंदी लगाते थे. कई आयोजनों पर उन्होंने रंगोली भी बनाई.
विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में उनके द्वारा बनाई गई रंगोली की तारीफ उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक और वर्तमान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी कर चुके हैं.
संघर्षों के बाद ही है सफलता का आनंद
तमाम बाधाओं को पार करते हुए गजेंद्र ने अपनी पढ़ाई पूरी की. उनके संघर्ष और हुनर को देखते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें बतौर शिक्षक नियुक्त कर दिया. गजेंद्र आज विभाग के तमाम बच्चों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. वह कहते हैं कि विद्यार्थियों को संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए. हर मुश्किल का डटकर सामना करना चाहिए. संघर्षों के बाद जो सफलता मिलती है उससे अच्छा कुछ नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : August 29, 2023, 15:19 IST