प्लास्टिक के नुकसान से बचाने वाले बायो फाइबर भी धरती के लिए घातक
लंदन के वैज्ञानिकों के शोध में खुलासा
लंदन (टीवी न्यूज़ इंडिया)। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि प्लास्टिक के नुकसान से बचाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे इको-फ्रेंडली फाइबर या बायो-डिग्रेडेबल उत्पाद भी धरती के लिए खतरनाक हैं। लंदन के वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार, बायो-सामग्री का इस्तेमाल कपड़ों, वेट वाइप्स और पीरियड प्रोडक्ट्स जैसी कई चीजों को बनाने में हो रहा है। लेकिन इन कपड़ो को धोने, इसके कचरे को खाद के रूप में उपयोग करने और इनके अन्य प्रयोग से माइक्रोफाइबर निकलते हैं जो हवा में उड़कर मिट्टी और पानी में मिल जाते है। यह माइक्रोफाइबर पर्यावरण और जीव-जंतुओं के लिए घातक हो सकते हैं। शोध में पारंपरिक पॉलिएस्टर फाइबर और दो जैव-आधारित फाइबर-विस्कोस और लियोसेल का केंचुओं पर प्रभावों का परीक्षण किया है, जो वैश्विक स्तर पर मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण प्रजाति है। अध्ययन में पाया गया कि फाइबर की उच्च सांद्रता में, पॉलिएस्टर के संपर्क में आने पर 72 घंटों के बाद 30 फीसदी केंचुए मर गए, जबकि बायो-आधारित फाइबर के संपर्क में आने वाले केंचुओं की मृत्यु दर बहुत अधिक थी। लियोसेल के मामले में यह 60 फीसदी और विस्कोस के मामले में 80 फीसदी रही। प्लास्टिक के विकल्पों के परीक्षण की जरूरत शोधकर्ताओं के अनुसार, यह स्टडी माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के खतरे को कम करने के वैश्विक प्रयासों के तहत प्लास्टिक के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जा रही नई सामग्रियों के परीक्षण के महत्व को उजागर करती है। एनवायरनमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित यह शोध बायो-प्लास्टिक-रिस्क परियोजना के हिस्से के रूप में प्लायमाउथ विश्वविद्यालय और बाथ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। आंकड़ों के अनुसार 2022 में दुनिया भर में 320,000 टन से अधिक जैव-आधारित और बायोडिग्रेडेबल फाइबर का उत्पादन किया गया। इनमें से काफी मात्रा पर्यावरण में मिल जाएगी। शोध में देखा गया है कि यह उत्पाद केंचुओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालते है।