15 करोड़ लोग, 12000 करोड़ का कारोबार, इकोनॉमी को ऐसे बूस्ट करेगा छठ का त्योहार

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(टीवी न्यूज़ इंडिया):- छठ पूजा अनुष्ठानों में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों सहित लगभग 15 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद लगाई जा रही है. एक अनुमान के अनुसार इन 96 घंटों में देश की इकोनॉमी को 12 हजार करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है. आइए आपको भी बताते हैं कैसे?
5 नवंबर यानी आज से नहाय खाय से शुरू होकर 8 नवंबर तक छठ का त्योहार पूरे जोश के साथ सेलीब्रेट किया जाएगा. चार दिन यानी 96 घंटों तक चलने वाले इस उत्सव में पूरे भारत खासकर बिहार और झारखंड के साथ साथ विभिन्न राज्यों में रहने वाले पूर्वांचली समुदायों के लोगों की भागीदारी देखी जाएगी. छठ पूजा अनुष्ठानों में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों सहित लगभग 15 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद लगाई जा रही है. एक अनुमान के अनुसार इन 96 घंटों में देश की इकोनॉमी को 12 हजार करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की रिपोर्ट के अनुसार छठ पूजा के मौके पर पर देश भर में लगभग 12,000 करोड़ रुपए का व्यापार होगा, जो इसे भारत के सबसे सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक के रूप में चिह्नित करेगा.
दिल्ली के बाजार गुलजार
बिहार, झारखंड या फिर देश के पूर्वी हिस्सों में ही नहीं बल्कि दिल्ली में भी छठ पूजा को काफी भव्य तरीके से मनाया जाता है. चांदनी चौक, सदर बाजार, मॉडल टाउन, अशोक विहार, शालीमार बाग, पीतमपुरा, रानी बाग, उत्तम नगर, तिलक नगर जैसे कई बाजार पारंपरिक छठ पूजा की जरूरी चीजें खरीदने वाले लोगों से गुलजार हैं. कैट राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया के अनुसार छठ पूजा बिहार और झारखंड के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, विदर्भ और मध्य प्रदेश में भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाता है. इन राज्यों में कई पूर्वांचली रहते हैं, जो लोकल इकोनॉमी को बूस्ट करने का काम करते हैं. यह त्योहार, जिसमें डूबते और उगते सूर्य दोनों की पूजा शामिल है, भारतीय संस्कृति की समावेशी प्रकृति का प्रतीक है.

इन सामानों की हो रही बिक्री
कैट के अनुसार, बांस की टोकरियां, केले के पत्ते, गन्ना, मिठाइयां, फल और सब्जियां (विशेष रूप से नारियल, सेब, केले और हरी सब्जियां) जैसी आवश्यक छठ पूजा वस्तुओं की काफी डिमांड देखने को मिल रही है. महिलाओं के लिए साड़ी, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता और पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा, धोती सहित पारंपरिक पोशाक बड़ी मात्रा में खरीदी जा रही है, जिससे स्थानीय व्यापारियों और लघु उद्योगों को लाभ हो रहा है. छोटे पैमाने पर उत्पादित हाथों से बनी वस्तुओं की भी अच्छी खासी बिक्री हो रही है.

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